एक घने जंगल के हृदय में, जहाँ सूरज की किरणें पत्तों की घनी चादर से छनकर मुश्किल से ज़मीन तक पहुँच पाती थीं, दो विशाल पेड़ सदियों से एक-दूसरे के बगल में खड़े थे। एक बरगद का पेड़ था, जिसकी मजबूत शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थीं, और दूसरा एक सीधा और ऊँचा सागौन का पेड़ था। दोनों ने अनगिनत मौसम देखे थे और जंगल के बदलते मिजाज के गवाह थे।
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Photo credit : Google Gemini AI |
एक शांत सुबह, जब पक्षियों का कलरव हवा में गूँज रहा था, बरगद के पेड़ ने गहरी साँस ली। "ओह सागौन," उसने अपनी भारी आवाज़ में कहा, "आज हवा में कुछ उदासी घुली हुई है।"
सागौन ने अपनी पत्तियों को हिलाया, जिससे एक सरसराहट की ध्वनि उत्पन्न हुई। "हाँ बरगद भाई, मुझे भी ऐसा ही लग रहा है। यह शांति अजीब है, जैसे कोई तूफान आने से पहले की खामोशी हो।"
"मुझे याद है," बरगद ने कहा, उसकी पुरानी शाखाएँ धीरे से हिल रही थीं, "जब यह जंगल हमेशा जीवंत रहता था। हिरणों के झुंड बिना किसी डर के घूमते थे, रंग-बिरंगी तितलियाँ फूलों पर मंडराती थीं, और नदियों में मछलियाँ उछलती थीं। अब वह रौनक कहाँ चली गई?"
सागौन ने सहमति में अपनी शाखा झुकाई। "तुम सच कहते हो। मैंने अपनी आँखों से देखा है कि कैसे 'क्रूर मानव' धीरे-धीरे हमारी दुनिया में घुसपैठ कर रहा है। उनकी तेज आवाज़ें और चमकती हुई मशीनें जंगल की शांति को भंग कर देती हैं।"
बरगद ने एक गहरी आह भरी। "उनकी ज़रूरतें कभी खत्म नहीं होतीं। पहले वे छोटी-छोटी बस्तियाँ बनाते थे, और अब वे हमारे घने जंगल को काटकर अपने घर और रास्ते बना रहे हैं। क्या उन्हें हमारी पीड़ा दिखाई नहीं देती?"
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सागौन ने कहा, "उन्हें सिर्फ अपनी सुविधाएँ दिखती हैं। उन्हें यह समझ नहीं आता कि हम सिर्फ पेड़ नहीं हैं, हम इस जंगल का दिल हैं। हम हवा को शुद्ध करते हैं, मिट्टी को पकड़ कर रखते हैं, और अनगिनत जीवों को आश्रय देते हैं।"
"और हमारे जंगली जानवर भाई-बहन," बरगद ने दुख से कहा। "उनके घर उजड़ रहे हैं। हिरण और खरगोश अब डर-डर कर जीते हैं, हमेशा इंसानों से छिपते रहते हैं। बाघ और तेंदुए, जो कभी इस जंगल के राजा थे, अब सिमटते जा रहे हैं, उनके शिकार कम हो रहे हैं।"
सागौन ने अपनी पत्तियों से ओस की बूँदें गिराईं, जैसे वह आँसू बहा रहा हो। "मैंने एक मादा हिरण को बिलखते हुए सुना था, जब उसके बच्चे को इंसानों ने पकड़ लिया था। उसकी आवाज़ आज भी मेरे कानों में गूँजती है।"
बरगद ने याद दिलाया, "क्या तुम्हें याद है, सागौन, जब यह जंगल कितना घना था? हमारी शाखाएँ आपस में गुंथी हुई थीं, सूरज की रोशनी भी नीचे तक नहीं पहुँच पाती थी। तब जंगली जानवरों को छिपने और शिकार करने के लिए कितनी सुरक्षित जगह मिलती थी।"
"हाँ," सागौन ने कहा, "और हमारी जड़ें मिट्टी में कितनी गहराई तक फैली हुई थीं, एक-दूसरे को सहारा देती थीं। जब तेज हवाएँ चलती थीं, तो हम मिलकर उनका सामना करते थे, कभी नहीं गिरते थे।"
"जंगल होने के कितने फायदे थे," बरगद ने उदासी से कहा। "हम बारिश को आकर्षित करते थे, जिससे नदियाँ और झीलें भरी रहती थीं। हमारी पत्तियाँ सड़कर मिट्टी को उपजाऊ बनाती थीं, जिससे नए पौधे पनपते थे। हम एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा थे।"
सागौन ने एक क्षण मौन रखा, फिर कहा, "लेकिन अब सब बदल रहा है। मैंने अपनी आँखों से देखा है कि कैसे हमारे जैसे अनगिनत पेड़ों को काटा गया है। उनकी तेज कुल्हाड़ियाँ और गरजती हुई चेन-सॉ हमारे शरीर को चीर देती हैं। हमारी चीखें सुनने वाला कोई नहीं होता।"
"और वह सब किस लिए?" बरगद ने गुस्से से पूछा। "सिर्फ इंसानों की लालच के लिए। वे हमारे लकड़ी से अपने घर बनाते हैं, अपनी ज़रूरतें पूरी करते हैं, बिना यह सोचे कि वे कितना कुछ नष्ट कर रहे हैं।"
सागौन ने चिंता व्यक्त की, "मैंने सुना है कि हमारी कटाई की वजह से पर्यावरण में भी बहुत बदलाव आ रहा है। मौसम अब अनियमित हो गए हैं, कभी बहुत गर्मी होती है तो कभी अचानक बाढ़ आ जाती है। पक्षियों के आने-जाने का समय बदल गया है, और कुछ फूल तो अब दिखाई भी नहीं देते।"
बरगद ने अपनी एक सूखी पत्ती को नीचे गिराते हुए कहा, "हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इस हरे-भरे जंगल को शायद कभी नहीं देख पाएंगी। उन्हें सिर्फ कहानियों में ही पता चलेगा कि यहाँ कभी कितना जीवन और सुंदरता थी।"
सागौन ने एक आखिरी उम्मीद भरी साँस ली। "लेकिन क्या हम कुछ नहीं कर सकते, बरगद भाई? क्या कोई ऐसा तरीका नहीं है जिससे इंसान हमारी कीमत को समझें? क्या वे यह नहीं देख सकते कि अगर जंगल नहीं रहेंगे तो उनका भी अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा?"
बरगद ने अपनी विशाल शाखाओं को आकाश की ओर उठाया, जैसे वह किसी अदृश्य शक्ति से प्रार्थना कर रहा हो। "हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, सागौन। शायद कभी उनकी आँखें खुलें, और वे समझें कि प्रकृति का सम्मान करना ही उनका अपना बचाव है। शायद तब वे हमारी कटाई बंद करें और इस जंगल को फिर से हरा-भरा होने दें।"
दोनों पेड़ शांत हो गए, उनकी पत्तियाँ हवा में धीरे-धीरे हिल रही थीं, एक मौन प्रार्थना की तरह। जंगल में पक्षियों का कलरव फिर से सुनाई देने लगा, लेकिन उस शांति में भी एक गहरी उदासी छिपी हुई थी, जो उन दो बूढ़े पेड़ों के दिलों में बसी हुई थी, जो अपने प्यारे जंगल के भविष्य को लेकर चिंतित थे।
यह कहानी हमें प्रकृति के महत्व को समझने, पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने और सभी जीवों के साथ सम्मान और करुणा का व्यवहार करने की महत्वपूर्ण सीख देती है।
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