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मेरा तुझ पर पूरा भरोसा है


पेश है एक आकर्षक और भावनात्मक प्रेम कहानी:

मेरा तुझ पर पूरा भरोसा है

Credit: Pixabay.com

मीरा और अर्जुन की मुलाकात एक अप्रत्याशित मोड़ पर हुई – एक भरी हुई लोकल ट्रेन में, बारिश से बेहाल, जब मीरा अपना संतुलन खो बैठी और अर्जुन ने उसे गिरने से बचाया। उस पल, उनकी आँखें मिलीं, और एक अनकहा बंधन जुड़ गया।

मीरा, एक साधारण लड़की, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही थी। उसकी आँखें आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प से भरी थीं, लेकिन कहीं न कहीं एक अनिश्चितता भी छिपी थी।

 अर्जुन, एक शांत और गंभीर युवक, जिसने अपनी ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे थे। उसकी आँखों में एक गहराई थी, जो मीरा को अपनी ओर खींचती थी।

उनकी मुलाकातों का सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ने लगा। कभी कॉलेज के बाहर चाय की दुकान पर, तो कभी शहर के शोर से दूर किसी शांत बगीचे में। वे घंटों बातें करते, अपने सपने साझा करते, अपनी परेशानियाँ बताते। 

मीरा को अर्जुन की ईमानदारी और उसके शांत स्वभाव में एक सुकून मिलता था। अर्जुन को मीरा की जीवंतता और उसकी निश्छल हँसी में अपनी उदासी का इलाज मिलता था।

एक दिन, मीरा ने अर्जुन को अपने सबसे बड़े सपने के बारे में बताया – एक छोटा सा स्कूल खोलना, जहाँ गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिल सके। 

यह सपना उसके दिल के बहुत करीब था, लेकिन उसे पूरा करने के लिए उसके पास साधन नहीं थे। अर्जुन ने उसकी आँखों में झाँका और कहा, "मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है, मीरा। तुम यह ज़रूर करोगी।" उसके इन शब्दों में इतना विश्वास था कि मीरा को भी अपनी क्षमताओं पर और ज़्यादा यकीन होने लगा।

समय बीतता गया, और मीरा और अर्जुन का रिश्ता गहरा होता गया। वे एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी बन गए। मीरा के सपनों को पूरा करने के लिए अर्जुन ने हर संभव प्रयास किया।

 उसने अपनी छोटी सी बचत मीरा को दी, और उसके साथ मिलकर स्कूल के लिए जगह ढूँढ़ी। कई मुश्किलों के बाद, उन्हें शहर के बाहरी इलाके में एक पुरानी जर्जर इमारत मिली।

मीरा और अर्जुन ने मिलकर उस इमारत को बच्चों के लिए एक सुंदर और सुरक्षित जगह में बदल दिया। उन्होंने दीवारों को रंगीन चित्रों से सजाया, बच्चों के लिए किताबें और खिलौने जुटाए। 

धीरे-धीरे, गाँव के बच्चे उस स्कूल में आने लगे। मीरा की मेहनत और अर्जुन के साथ ने उनके सपने को साकार कर दिया था।

लेकिन उनकी राह में अभी और भी मुश्किलें आनी बाकी थीं। कुछ लोगों ने मीरा के काम पर सवाल उठाए, उसकी नीयत पर शक किया। वे कहने लगे कि यह सब ज़्यादा दिन नहीं चलेगा। मीरा टूट गई। उसे लगने लगा कि शायद वह सच में यह सब नहीं कर पाएगी।

उस मुश्किल घड़ी में अर्जुन उसके साथ चट्टान की तरह खड़ा रहा। उसने मीरा का हाथ थामा और कहा, "याद है मैंने तुमसे क्या कहा था? मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है। इन लोगों की बातों पर ध्यान मत दो। तुम जानती हो कि तुम क्या कर रही हो, और तुम्हारा इरादा नेक है।" अर्जुन के इन शब्दों ने मीरा में फिर से हिम्मत भर दी। उसे याद आया कि उसने यह सब क्यों शुरू किया था।

अर्जुन का अटूट विश्वास मीरा के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गया। उसने दुगनी मेहनत से काम करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, लोगों को मीरा की सच्चाई और उसके काम की अहमियत समझ आने लगी। स्कूल बढ़ता गया, और गाँव के कई बच्चों के जीवन में शिक्षा की रोशनी फैल गई।

एक शाम, जब मीरा और अर्जुन स्कूल के बरामदे में बैठे थे, तारों से भरे आसमान को देख रहे थे, मीरा ने अर्जुन का हाथ थामा और कहा, "तुम्हारे भरोसे के बिना यह सब मुमकिन नहीं था, अर्जुन। तुमने हमेशा मुझ पर विश्वास किया, तब भी जब मुझे खुद पर यकीन नहीं था।"

अर्जुन ने मुस्कुराकर उसके बालों को सहलाया और कहा, "मेरा भरोसा कभी कम नहीं होगा, मीरा। क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हारे दिल में कितनी सच्चाई और कितनी ममता है।"

उस रात, चाँदनी में नहाए हुए उस छोटे से स्कूल में, मीरा और अर्जुन के प्यार और विश्वास की कहानी और भी गहरी हो गई। 

उनका प्यार सिर्फ एक भावना नहीं थी, बल्कि एक अटूट बंधन था, जो मुश्किलों में भी उनका साथ देता रहा। उनका रिश्ता इस बात का प्रमाण था कि सच्चा प्यार और अटूट विश्वास किसी भी सपने को हकीकत में बदल सकते हैं।



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