जीवन का असली खजाना: अनुभव | bacchon ke liye prernadayak kahani | hindi kahani
एक गाँव में एक नौजवान लड़का सुबह सुबह अपने दादा से बहस कर रहा था। दादाजी हाथ में चाय का प्याला लिये चार पाई पर बैठे हुए थे।
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गरम गरम चाय की चुस्की लेते हुए पोते की बातें सुन रहे थे और कभी कभी थोड़ा मुस्करा देते थे।
लड़के ने कहा,
“दादा, आप इस ज़माने में भी हमेशा पुराने किस्से क्यों सुनाते रहते हैं? आज का ज़माना तेज़ है, आपके अनुभवों की अब कोई कीमत नहीं।”
दादा ने कहा, "बेटे, ये चाय का प्याला रख कर आओ। हम आपको खेत लेकर चलते हैं। "
पोता,"दादाजी, ठंड में हम नहीं चलेंगे। बहोत तेज ठंड है। "
फिर भी
दादाजी मुस्कुराए और उसे खेत की ओर ले गए। खेत के कोने में एक पुराना कुआँ था। दोनों कुए के पास गए।
दादा ने कहा,
“बेटा, इस कुएँ में देखो, पानी कितना गहरा है।”
लड़के ने झाँककर देखा, सचमुच कुआँ गहरा था।
दादा बोले,
“अगर इस कुएँ में बारिश का पानी न गिरता तो यह सूखा रह जाता। वैसे ही इंसान का मन भी सूखा रह जाता, अगर वह जीवन के अनुभवों से न भरता।”
लड़के ने फिर कहा,
“लेकिन दादा, अनुभव की गहराई का फायदा क्या?”
दादा ने मुस्कुराकर उत्तर दिया,
“फायदा यह है कि सतही पानी जल्दी सूख जाता है, लेकिन गहरे कुएँ का पानी सालों तक प्यास बुझाता है। इंसान की सोच भी ऐसी ही होती है—जिसने बहुत अनुभव किए हैं, उसकी समझ गहरी होती है और वह दूसरों को भी राह दिखा सकता है।”
लड़के की आँखें खुल गईं। उसने दादा का हाथ पकड़कर कहा,
"माफ़, करना दादाजी। आपकी बातों को समझने में भूल हुई मुझसे।
मे समझ गया दादा, असली दौलत पैसे नहीं, बल्कि अनुभव है।”
सीख
अनुभव इंसान का सबसे बड़ा खजाना है। जितना अधिक अनुभव, उतनी ही गहरी समझ और जीवन जीने की ताकत।
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