जाएँ तो जाएँ कहाँ
किसी घने जंगल में, जहाँ ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश को छूते थे और हरी-भरी झाड़ियाँ जमीन को मखमल की तरह ढके हुए थीं, विभिन्न प्रकार के जानवर शांतिपूर्वक रहते थे। इस जंगल में एक बुद्धिमान बूढ़ा शेर था, जिसका नाम केशरी था। केशरी अपनी न्यायप्रियता और अनुभव के लिए पूरे जंगल में सम्मान पाता था।
एक वर्ष, जंगल में भयानक सूखा पड़ा। नदियाँ सूख गईं, तालाबों में पानी की एक बूँद भी नहीं बची, और हरी-भरी घास पीली पड़ गई। जानवरों के लिए भोजन और पानी ढूँढना मुश्किल हो गया।
भूख और प्यास से व्याकुल जानवर केशरी के पास गए और अपनी परेशानी बताई।
"महाराज," एक हिरण ने कहा, "पानी के बिना हम जीवित नहीं रह सकते। जंगल के सभी जल स्रोत सूख गए हैं। हम जाएँ तो जाएँ कहाँ?"
केशरी ने उनकी बात ध्यान से सुनी। वह जानता था कि यह एक गंभीर समस्या है और सभी जानवरों को मिलकर इसका समाधान ढूँढना होगा। उसने सभी जानवरों की एक सभा बुलाई।
सभा में हाथी, भालू, लोमड़ी, बंदर, खरगोश और अन्य छोटे-बड़े जानवर उपस्थित थे। केशरी ने सूखे की भयावहता और पानी की कमी के बारे में बताया।
"हमें मिलकर पानी का स्रोत ढूँढना होगा," केशरी ने अपनी गहरी आवाज में कहा। "अगर हम एक-दूसरे का साथ देंगे, तो हम इस संकट से ज़रूर निकल जाएँगे।"
कुछ जानवरों ने निराशा व्यक्त की। "महाराज, हमने पूरे जंगल में खोज लिया है, कहीं भी पानी नहीं है," एक बंदर उदास होकर बोला।
तभी, एक चालाक लोमड़ी, जिसका नाम चतुरक था, आगे आई। "महाराज," उसने कहा, "मैंने सुना है कि जंगल के पूर्वी छोर पर, पहाड़ों के पीछे, एक गुप्त झील है। मैंने उसे कभी देखा तो नहीं, लेकिन पुराने जानवर उसकी कहानियाँ सुनाते थे।"
केशरी को चतुरक की बात में उम्मीद की किरण दिखाई दी। "क्या तुम हमें उस झील तक ले जा सकते हो, चतुरक?" उसने पूछा।
चतुरक थोड़ा हिचकिचाया। "रास्ता बहुत कठिन है, महाराज। घने जंगल और ऊँचे पहाड़ पार करने होंगे। और मैंने सुना है कि उस इलाके में कुछ खतरनाक जानवर भी रहते हैं।"
केशरी ने दृढ़ता से कहा, "हमें कोशिश तो करनी ही होगी। अपने प्राण बचाने के लिए हमें हर मुश्किल का सामना करना पड़ेगा। हम सब मिलकर जाएँगे और एक-दूसरे की रक्षा करेंगे।"
अगले दिन, केशरी के नेतृत्व में सभी जानवर पूर्वी जंगल की ओर चल पड़े। चतुरक उन्हें आगे का रास्ता दिखा रहा था। यात्रा बहुत कठिन थी।
पथरीले रास्तों पर चलना मुश्किल था, और गर्मी से सभी बेहाल थे। कई छोटे जानवर थक गए, लेकिन बड़े जानवरों ने उन्हें सहारा दिया।
रास्ते में उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। एक बार, उन्हें एक गहरी खाई पार करनी पड़ी। हाथियों ने अपनी सूँड से लताओं का पुल बनाया, जिससे बाकी जानवर सुरक्षित रूप से पार कर सके। दूसरी बार, उन्हें कुछ शिकारी कुत्तों के झुंड ने घेर लिया, लेकिन केशरी की दहाड़ और अन्य शक्तिशाली जानवरों के एकजुट होने से शिकारी कुत्ते भाग गए।
कई दिनों की मुश्किल यात्रा के बाद, चतुरक ने दूर से पहाड़ों की एक श्रृंखला दिखाई। "वह देखो!" वह उत्साहित होकर चिल्लाया, "शायद झील वहीं कहीं छिपी है।"
जब वे पहाड़ों के पास पहुँचे, तो उन्हें एक संकरा और घुमावदार रास्ता मिला जो ऊपर की ओर जाता था। धीरे-धीरे चढ़ते हुए, वे एक ऐसी जगह पर पहुँचे जहाँ एक अद्भुत दृश्य दिखाई दिया। पहाड़ों के बीच एक विशाल और शांत झील थी, जिसका पानी सूरज की रोशनी में नीले रंग का चमक रहा था। झील के चारों ओर हरी-भरी घास और फलदार पेड़ थे।
सभी जानवर खुशी से चिल्ला उठे। उनकी प्यास और थकान पल भर में गायब हो गई। उन्होंने झील का पानी पिया और अपनी प्यास बुझाई। झील के किनारे हरी घास चरने और पेड़ों के फल खाने से उनकी भूख भी मिट गई।
केशरी ने सभी जानवरों को धन्यवाद दिया। "यह हमारी एकता और साहस का फल है कि हम इस संकट से बाहर निकल पाए," उसने कहा। "हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि मिलकर काम करने से बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी हल किया जा सकता है।"
कुछ दिनों तक सभी जानवर उस झील के किनारे रहे और अपनी शक्ति वापस पाई। जब जंगल में थोड़ी बारिश हुई और परिस्थितियाँ सुधरने लगीं, तो उन्होंने धीरे-धीरे अपने घर की ओर लौटना शुरू कर दिया।
इस घटना ने जंगल के सभी जानवरों को एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया। उन्होंने जाना कि जब कोई बड़ी मुसीबत आती है, तो आपसी सहयोग, बुद्धि और साहस से उसका सामना किया जा सकता है।
और यह भी कि कभी-कभी, अनजान रास्तों पर चलने और मुश्किलों का सामना करने पर ही हमें जीवन के अनमोल खजाने मिलते हैं। "जाएँ तो जाएँ कहाँ" की निराशा से शुरू हुई उनकी यात्रा उन्हें एक नई उम्मीद और एकता के बंधन में बाँध गई।
0 टिप्पणियाँ