किसी वन में, 'शक्तिशाली सिंह' नाम का एक पराक्रमी शेर रहता था, जो उस क्षेत्र का राजा था। उसके राज्य में 'बुद्धिमान हाथी' नामक एक बुद्धिमान और मेहनती हाथी भी रहता था, जिसने अपनी सूझबूझ और परिश्रम से सभी का सम्मान जीता था।
शक्तिशाली सिंह ने वन के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पुल बनवाने का निश्चय किया, जो नदी के दो किनारों को जोड़ सके ताकि सभी प्राणियों को आने-जाने में सुविधा हो। इस कार्य के लिए, उसने 'चालाक लोमड़ी' नामक एक धूर्त लोमड़ी को ठेकेदार नियुक्त किया, जिसने सबसे कम समय और लागत का वादा किया था।
बुद्धिमान हाथी को लोमड़ी की नीयत पर संदेह था। उसने शक्तिशाली सिंह से अपनी चिंता व्यक्त की, "महाराज, यह लोमड़ी अपनी चालाकी के लिए जानी जाती है। कहीं ऐसा न हो कि वह अपने लाभ के लिए निर्माण कार्य में गड़बड़ी करे।"
शक्तिशाली सिंह ने विश्वास के साथ कहा, "बुद्धिमान हाथी, तुम हमेशा संदेह करते हो। उसे अवसर तो दो। यदि वह कोई गड़बड़ी करेगा, तो मैं उसे दंडित करूंगा।"
निर्माण कार्य शुरू हुआ। बुद्धिमान हाथी ने चुपचाप लोमड़ी और उसके सहायकों की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी। उसने देखा कि लोमड़ी घटिया सामग्री का उपयोग कर रही है और मजदूरों को उचित पारिश्रमिक नहीं दे रही है। काम में भी लापरवाही बरती जा रही थी।
एक दिन, जब बुद्धिमान हाथी ने देखा कि लोमड़ी के आदमी पुल की नींव में कमजोर पत्थर लगा रहे हैं, तो उसका क्रोध फूट पड़ा। उसने तुरंत काम रुकवा दिया और लोमड़ी को बुलाया।
"यह क्या कर रहे हो, धूर्त लोमड़ी?" बुद्धिमान हाथी ने अपनी सूंड उठाकर गर्जना की। "यह पत्थर पुल को मजबूत नहीं बना सकते। तुम सभी प्राणियों के जीवन को खतरे में डाल रहे हो।"
चालाक लोमड़ी ने अपनी चिकनी बातों से हाथी को बहलाने की कोशिश की, "अरे, बुद्धिमान हाथी, तुम निर्माण कार्य की बारीकियों को नहीं समझते। यह सब चलता है। पुल तो बन ही जाएगा।"
"नहीं, लोमड़ी," हाथी ने दृढ़ता से कहा। "मैं जानता हूँ कि तुम धोखा कर रहे हो। मैं इसकी शिकायत शक्तिशाली सिंह से करूंगा।"
लोमड़ी डर गया। उसने हाथी को धमकाने की कोशिश की, "तुम जानते नहीं हो कि मेरे कितने मित्र हैं। यदि तुमने शिकायत की, तो तुम्हें पछताना पड़ेगा।"
बुद्धिमान हाथी अकेला पड़ गया था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने लोमड़ी के धोखे के सबूत इकट्ठा करने शुरू कर दिए। उसने कमजोर पत्थरों की तस्वीरें खींचीं और मजदूरों से सच्चाई जान ली।
लोमड़ी को हाथी की गतिविधियों की खबर मिल गई थी। उसने हाथी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। उसे डराने-धमकाने के लिए अपने साथियों को भेजा, लेकिन बुद्धिमान हाथी अपने कर्तव्य से विचलित नहीं हुआ।
एक शाम, जब बुद्धिमान हाथी सबूतों को इकट्ठा कर रहा था, तो उसे लोमड़ी के दो चापलूस साथी, 'झूठा सियार' और 'कपटी खरगोश' मिले। उन्होंने उसे धमकाया और सच छिपाने के लिए कहा, लेकिन हाथी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
अगले दिन, बुद्धिमान हाथी सारे सबूत लेकर शक्तिशाली सिंह के दरबार में पहुँचा। उसने सारी कहानी सुनाई और धोखे के सबूत पेश किए। शक्तिशाली सिंह क्रोधित हो गया। उसने तुरंत लोमड़ी और उसके साथियों को बुलवाया।
जांच में लोमड़ी का भ्रष्टाचार साबित हो गया। शक्तिशाली सिंह ने उसे कठोर दंड दिया और ठेका रद्द कर दिया। वन में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी प्राणियों ने बुद्धिमान हाथी की ईमानदारी और साहस की प्रशंसा की।
शक्तिशाली सिंह ने बुद्धिमान हाथी को पुल निर्माण की निगरानी का जिम्मा सौंपा। बुद्धिमान हाथी ने अपनी देखरेख में मजबूत और सुरक्षित पुल बनवाया, जिससे सभी प्राणियों को सुविधा हुई।
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा सबसे बड़ी शक्ति हैं, और भ्रष्टाचार का फल हमेशा बुरा होता है।
बुद्धिमान हाथी ने अपनी सूझबूझ और साहस से न केवल पुल को बचाया, बल्कि सभी प्राणियों के लिए न्याय भी सुनिश्चित किया।
0 टिप्पणियाँ