Majedar Kahani: बच्चों के लिए 5 सबसे मजेदार कहानियाँ

 

Majedar Kahani: बच्चों के लिए 5 सबसे मजेदार कहानियाँ


Majedar kahani | बच्चों के लिए 5 मजेदार कहानियां
Ai generated picture

कहानियाँ बचपन की सबसे खूबसूरत यादों में से एक होती हैं। रात को दादी-नानी से कहानियाँ सुनना और हँसते-हँसते सो जाना, यह अनुभव कभी भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन कहानियाँ सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं हैं, वे हमें ज़िंदगी की गहरी सीख भी देती हैं। आज हम लेकर आए हैं 5 नई-नई मजेदार कहानियाँ (Majedar Kahani), जो बच्चों को हँसी के साथ-साथ नैतिक मूल्य भी सिखाएँगी।


1. बंदर और टोपीवाले की नई कहानी


बहुत समय पहले की बात है। रामू नाम का टोपी बेचने वाला रोज़ाना गाँव-गाँव घूमकर टोपियाँ बेचता था। एक दिन वह जंगल के रास्ते से जा रहा था। गर्मी इतनी थी कि उसकी हालत खराब हो गई। उसने सोचा कि थोड़ा आराम कर लूँ। पास में एक बड़ा पेड़ था, वह वहाँ जाकर लेट गया और टोकरी पास में रख दी।

पास ही के पेड़ों पर शरारती बंदरों का झुंड रहता था। जैसे ही रामू सोया, बंदरों ने टोकरी से सारी टोपियाँ निकाल लीं और अपने-अपने सिर पर पहन लीं। जब रामू की आँख खुली, उसने देखा कि टोपियाँ गायब हैं। ऊपर देखा तो सारे बंदर टोपी पहनकर हँस रहे थे।

रामू ने तुरंत दिमाग लगाया। उसने टोपी उतारी और गुस्से में जमीन पर फेंक दी। बंदरों ने उसकी नकल करते हुए वैसा ही किया। रामू ने तुरंत सभी टोपियाँ उठाईं और हँसते हुए बोला, “शरारत का जवाब दिमाग से ही देना चाहिए।”


सीख: मुश्किल हालात में गुस्से से नहीं, समझदारी से काम लो।


■■■■■■■■■■■○○○○■■■■■■■■■■


2. खरगोश और कछुए की कहानी – घमंड का अंजाम


बहुत समय पहले की बात है। एक हरा-भरा जंगल था, जहाँ तरह-तरह के जानवर रहते थे। उन्हीं में से एक था खरगोश – जंगल का सबसे तेज़ धावक। उसकी लंबी टाँगें और बिजली जैसी रफ्तार देखकर सब जानवर उसकी तारीफ करते थे। खरगोश को भी अपनी तेज़ी पर बहुत घमंड था। वह अकसर कहता,

“पूरे जंगल में मुझसे तेज़ कोई नहीं। मैं दौड़ूँ, तो हवा भी पीछे रह जाए!”

उसकी बातें सुनकर कई जानवर परेशान हो जाते, पर कोई कुछ कह नहीं पाता। मगर एक दिन उसकी ये डींगे कछुए को चुभ गईं।

कछुआ शांत और धीरे-धीरे चलने वाला जीव था, पर उसकी बुद्धि तेज़ थी। उसने खरगोश से कहा,

“भाई खरगोश, अगर इतना ही भरोसा है अपनी रफ्तार पर, तो आओ, तुम और मैं दौड़ लगाते हैं।”

सारा जंगल हँस पड़ा।

“अरे कछुए, तुम खरगोश को हराओगे?” बंदर ने हँसते हुए कहा।

“हाँ, हाँ, देख लेना!” कछुए ने आत्मविश्वास से जवाब दिया।


यह कहानी भी पढ़े :

एक मेहनती बैल का जीवन | Hindi kahani | Ek mehnati bail ka Jivan | kahaniya


खरगोश को मज़ाक करने का मौका मिल गया। उसने हँसते-हँसते कहा,

“ठीक है भाई, कल सुबह दौड़ होगी। पूरा जंगल देखेगा, मैं कैसे जीतता हूँ।”

अगले दिन सुबह-सुबह सारे जानवर इकट्ठा हो गए। तोता, बंदर, हाथी, हिरण – सबको बेसब्री से इंतज़ार था। दौड़ की लाइन बनाई गई। कछुआ और खरगोश अपनी-अपनी जगह खड़े हो गए।

सीटी बजते ही दौड़ शुरू हुई। खरगोश पलक झपकते ही आगे निकल गया। कछुआ अपनी धीमी रफ्तार से चलता रहा।

खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा – कछुआ तो बहुत दूर है। उसने सोचा,

“इतना धीमा कछुआ मुझे कैसे हरा सकता है? थोड़ा आराम कर लूँ। कछुआ जब तक यहाँ तक पहुँचेगा, मैं तब तक सोकर भी जीत जाऊँगा।”

वह पेड़ के नीचे लेट गया और गहरी नींद में सो गया।

कछुआ बिना रुके, बिना थके चलता रहा। उसकी रफ्तार भले ही धीमी थी, मगर उसने एक कदम भी नहीं रोका। वह मन ही मन कह रहा था,

“धीरे-धीरे ही सही, लेकिन रुकूँगा नहीं। मंज़िल तक ज़रूर पहुँचूँगा।”

कुछ देर बाद कछुआ सोते हुए खरगोश के पास से निकला और फिनिश लाइन की ओर बढ़ गया।

जब खरगोश की आँख खुली, उसने देखा कछुआ लगभग फिनिश लाइन पर पहुँच चुका है। वह घबराकर दौड़ा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कछुए ने फिनिश लाइन पार कर ली थी।

पूरा जंगल खुशी से चिल्लाया,

“कछुआ जीत गया! कछुआ जीत गया!”

खरगोश शर्मिंदा होकर सिर झुकाकर खड़ा रहा। उसे अपनी गलती का एहसास हो गया।


सीख

उस दिन खरगोश ने समझा कि घमंड और लापरवाही हमेशा हार की वजह बनते हैं।

धीमी गति से सही, लेकिन लगातार मेहनत और धैर्य रखने वाला ही जीतता है।


■■■■■■■■■■○○○○■■■■■■■■■■■


3. लालची कुत्ते की कहानी – लालच का अंजाम


बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में भूखू नाम का कुत्ता रहता था। भूखू बहुत शरारती और लालची था। उसे जो भी चीज़ मिलती, वह उसे अकेले ही खाना चाहता था। उसकी यही आदत गाँव में सबको मालूम थी।

एक दिन भूखू गाँव में इधर-उधर खाने की तलाश में भटक रहा था। तभी उसे कसाई की दुकान के पास एक बड़ी हड्डी मिली। वह खुशी से उछल पड़ा। हड्डी देखकर उसकी आँखों में चमक आ गई, जैसे किसी को खजाना मिल गया हो। उसने तुरंत हड्डी मुँह में पकड़ी और सोचा, “अब इसे कहीं छुपाकर आराम से खाऊँगा, ताकि कोई और न छीन सके।”

वह हड्डी लेकर गाँव से बाहर जंगल की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक पुल मिला, जिसके नीचे नदी बह रही थी। भूखू हड्डी मुँह में दबाए पुल पार कर रहा था कि अचानक उसने पानी में झाँककर देखा।

पानी में उसे अपनी ही परछाई दिखाई दी। लेकिन भूखू को लगा कि नीचे कोई दूसरा कुत्ता है, जिसके पास उससे भी बड़ी हड्डी है। उसकी आँखें लालच से चमक उठीं। उसने सोचा, “अगर मैं इसका हड्डी भी ले लूँ, तो मेरे पास दो-दो हड्डियाँ हो जाएँगी। कितना मज़ा आएगा!”

यह सोचकर भूखू ने अपनी हड्डी छोड़कर उस “दूसरे कुत्ते” पर भौंकने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही उसने मुँह खोला, उसकी अपनी हड्डी छपाक से पानी में गिर गई और डूब गई।

अब भूखू के पास कुछ भी नहीं बचा। नदी में हड्डी गायब हो गई और वह मुँह लटकाए किनारे बैठा रह गया। उसे अपनी गलती पर बहुत पछतावा हुआ।

उसने सोचा, “काश! मैं लालच में न आता तो कम से कम एक हड्डी तो मेरे पास रहती। लालच ने सब छीन लिया।”


सीख:

लालच का अंजाम हमेशा बुरा होता है। जितना है, उसी में संतोष करना चाहिए। ज्यादा पाने की चाहत में कभी-कभी हम अपना सब कुछ खो बैठते हैं।


■■■■■■■■■○○○○■■■■■■■■■■■■


4. राजा और सच्चा मंत्री – ईमानदारी की मिसाल


बहुत समय पहले की बात है। एक राज्य में विक्रम नाम का राजा राज करता था। वह न्यायप्रिय और बहादुर था, लेकिन उसकी एक आदत सबको चौंकाती थी—उसे मज़ाक करना बहुत पसंद था।

राजा के दरबार में सोमिल नाम का एक मंत्री था, जो बुद्धिमान और ईमानदार था। उसकी समझदारी की कहानियाँ पूरे राज्य में मशहूर थीं।

एक दिन राजा ने दरबारियों से कहा,

“सोमिल, मुझे राज्य का सबसे मूर्ख आदमी लाकर दिखाओ। मैं देखना चाहता हूँ कि ऐसा कौन है।”

दरबारियों को लगा कि यह राजा की नई शरारत है, लेकिन सोमिल ने चुपचाप आदेश मान लिया ।

सोमिल ने कई दिन तक राज्य में घूम-घूमकर लोगों से मुलाकात की। उसने किसानों, व्यापारियों, सैनिकों और आम लोगों से बात की। पर उसे कोई ऐसा नहीं मिला जो मूर्ख हो।

  आखिरकार वह महल वापस आया। उसके हाथ में एक बड़ा सा आईना था।

राजा ने हँसते हुए पूछा,

“तो मंत्री जी, मिला सबसे बड़ा मूर्ख?”

सोमिल ने गंभीरता से आईना राजा के सामने रखा और कहा,

“महाराज, सबसे बड़ा मूर्ख तो आप ही हैं, जो ऐसे काम करने वाले मंत्री को आदेश दे रहे हैं। अगर कोई गलती हो जाए तो उसका दोष किसे लगेगा? मुझे या आपको?”


यह कहानी भी पढ़े :

पत्नी के सुंदरता मे पागल, माँ बाप से किया किनारा | patni k pyar me pagal, Maa Bap se kiya kinara | Sad story in hindi 


दरबार में सन्नाटा छा गया। राजा कुछ देर चुप रहा, फिर ज़ोर से हँस पड़ा।

राजा ने कहा, “सोमिल, तुमने मुझे सच्चाई दिखाई। तुम मेरे दरबार के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हो।”

उसने मंत्री को ईमानदारी और साहस के लिए इनाम दिया और सब दरबारी मंत्री की समझदारी की तारीफ़ करने लगे।


सीख :

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि सच्चाई और ईमानदारी से काम करने वाला व्यक्ति हमेशा सम्मान पाता है।


■■■■■■■■■■■■♤♤♤♤■■■■■■■■


5.सच्ची दोस्ती की मिसाल – मुश्किल में काम आने वाला दोस्त


बहुत समय पहले की बात है। दो दोस्त, अर्जुन और विजय, बचपन से साथ रहते थे। दोनों साथ खेलते, साथ पढ़ते और एक-दूसरे की मदद भी करते। गाँव में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी।

एक दिन दोनों ने सोचा कि जंगल घूमने चलते हैं। वे सुबह-सुबह रास्ते पर निकल पड़े। पेड़ों की ठंडी छाँव और चिड़ियों की चहचहाहट से जंगल बहुत सुंदर लग रहा था।

लेकिन तभी अचानक उन्हें झाड़ियों में सरसराहट सुनाई दी। उन्होंने देखा कि एक विशाल भालू उनकी ओर बढ़ रहा है। दोनों घबरा गए।

अर्जुन तुरंत पास के एक पेड़ पर चढ़ गया। उसने विजय को भी चढ़ने को कहा, पर विजय चढ़ना नहीं जानता था। डर से उसका दिल तेजी से धड़कने लगा।

उसे याद आया कि भालू मरे हुए इंसान को नुकसान नहीं पहुँचाता। विजय तुरंत जमीन पर लेट गया और साँस रोककर मरा होने का नाटक करने लगा।

भालू उसके पास आया, उसकी नाक सूँघी, कान के पास मुँह ले जाकर कुछ पल रुका और फिर वहाँ से चला गया।

अर्जुन पेड़ से उतरा और हँसते हुए बोला,

“भालू तुम्हारे कान में क्या कह गया?”

विजय ने गंभीरता से जवाब दिया,

“उसने कहा, असली दोस्त वही है जो मुसीबत में साथ दे। जो मुश्किल समय में साथ छोड़ दे, उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए।”

अर्जुन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने विजय से माफी माँगी और वादा किया कि वह अब कभी मुसीबत में उसका साथ नहीं छोड़ेगा।


कहानी की सीख


सच्चा दोस्त वही है जो अच्छे-बुरे समय में आपके साथ खड़ा रहे। मुसीबत में साथ छोड़ने वाला दोस्त सिर्फ नाम का दोस्त होता है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ