एक गांव था। पहाड़ों से सटा हुआ और जंगल भी पास में ही था। उस गाव में पशु पक्षी और प्राणी आपस में मिलकर भाइचारे के साथ रहते थे।
गांव में बबलू नाम का एक बकरा अपने परिवार के साथ रहता था। बबलू अब जवान हो चुका था।
बबलू हर रोज अपने साथी मित्रो बकरों के साथ जंगल में चारा खाने के लिए चला जाता।
एक दिन दोपहर के समय बबलू पानी पीने के लिए तालाब के पास गया। अचानक बबलू की नजर एक सुंदर बकरी पर पडी। जब तक बकरी वहां से चली नहीं गई तब तक बबलू प्यार भरी निगाहों से देखता रहा।
गांव जाकर कुछ दोस्तों से मिलकर उनके बारे मे जानकारी जुटानी शुरू कर दी। काफी मेहनत के बाद पता चला कि वो सुंदर दिखाई देने वाली बकरी पास के गांव की ही है। जिस का नाम था चंचल ।
अब, बबलू चंचल के इन्तेज़ार में दोपहर के समय तालाब के पास पहुंच जाता और चंचल के आने का इंतजार करता।
एक दिन बबलू ने बिना रहे चंचल से पूछ ही लिया।
बबलू, "आप का नाम चंचल है?"
चंचल : "हाँ, आप को कैसे पता? मे तो आप को जानती भी नहीं। "
इस तरह दोनों में काफी समय तक बातचीत चली।
अब वे दोनों करीब आ गए थे। खेतों में साथ-साथ घास चरते, तालाब किनारे खेलते और मस्ती करते।
समय बीता, और एक दिन गाँववालों ने तय किया—
गाँव का बुज़ुर्ग: "अब बबलू और चंचल की शादी हो जानी चाहिए। दोनों एक-दूसरे को पसंद भी करते हैं।"
सभी ने सहमति दी।
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ढोल-नगाड़ों की आवाज़ गूँज उठी। बबलू और चंचल की शादी बड़े धूमधाम से हुई। चंचल हँसते-हँसते बोली—
"बबलू, अब तुम मेरे प्यारे पति हो, अब आपको मेरी हर बात को स्वीकार करना होगा।"
बबलू: "बिलकुल, तुम्हें कभी दुख नहीं दूँगा।"
कुछ महीने तक सब कुछ सपनों जैसा चला। चंचल भी खुश थी और बबलू भी।
समस्या की शुरुआत
धीरे-धीरे बबलू को एक बुरी आदत लग गई—दारू पीने की।
एक शाम चंचल ने देखा कि बबलू लड़खड़ाता हुआ घर आया।
चंचल: "ये कैसी हालत है तुम्हारी? पीकर आए हो?"
बबलू: "अरे, बस थोड़ा-सा... दोस्तों ने ज़बरदस्ती पिला दी।"
दिन बीते, और ये ‘थोड़ा-सा’ अब रोज़ का चक्कर बन गया। नशे में बबलू गुस्से में बोलता—
बबलू: "तुम हर बात में टोकती क्यों हो? मुझे मत सिखाओ।"
चंचल: "मैं तुम्हारी भलाई के लिए कह रही हूँ। शराब छोड़ दो वरना पछताओगे।"
लेकिन बबलू ने ध्यान नहीं दिया। नशे में लड़ाई-झगड़े बढ़ते गए।
चंचल का मायके जाना
एक दिन चंचल का सब्र टूट गया।
चंचल: "बस! अब मैं यहाँ एक दिन भी नहीं रुकूँगी। जब तक तुम शराब नहीं छोड़ोगे, मैं अपने मायके में रहूँगी।"
वह अपना सामान बाँधकर चली गई।
बबलू चिल्लाता रह गया—
बबलू: "चंचल! सुनो तो...आज के बाद में दारू नहीं पीयूगा,मैं बदल जाऊँगा।"
लेकिन चंचल ने गुस्से में पीछे मुड़कर तक नहीं देखा।
पछतावा और बदलाव
चंचल के जाने के बाद घर सुनसान हो गया। बबलू अब दिन-रात सोचता रहता—
"क्यों नहीं मैंने उसकी बात मानी? मेरी शराब ने मेरा घर उजाड़ दिया।"
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उसने शराब छोड़ने का निश्चय किया। गाँव के लोगों से भी कहा—
बबलू: "आज से मैं शराब को हाथ नहीं लगाऊँगा। मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है।"
कुछ महीनों तक बबलू ने शराब नहीं पी। उसने मेहनत की, घर को फिर से सुंदर बनाया।
मुलाकात और नया जीवन
बबलू के भाई ने यह खबर चंचल तक पहुँचाई—
भाई: "बबलू सच में बदल गया है। अब वो शराब को हाथ तक नहीं लगाता।"
चंचल ने सोचा—
"अगर वो सच में बदल गया है, तो शायद हमारा घर फिर से बस सकता है। मुझे जाना चाहिए।"
एक दिन चंचल अचानक बबलू के घर पहुँची। चंचल को देखते ही बबलू की आँखों में आँसू आ गए।
बबलू: "चंचल, मुझे माफ कर दो। अब कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाऊँगा। मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा है।"
चंचल: "अगर तुम सच में बदल गए हो तो मैं तुम्हें एक मौका देती हूँ। दोबार ऐसी हरकत की तो मे फिर वापस कभी भी नहीं आऊंगी। "
दोनों ने एक दूसरे गले लगाया और नया जीवन शुरू किया।
कहानी की सीख
"बुरी आदतें रिश्तों को तोड़ देती हैं। समय रहते उन्हें छोड़ दो, वरना पछताना पड़ता है।"
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. बकरे और बकरी की इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
👉 इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि बुरी आदतें जैसे शराब पीना रिश्तों को तोड़ देती हैं। समय रहते उन्हें छोड़ देना चाहिए।
Q2. बबलू और चंचल की शादी क्यों टूटने वाली थी?
👉 बबलू की शराब पीने की आदत और गुस्से की वजह से उनके रिश्ते में दरार आने लगी थी।
Q3. चंचल क्यों मायके चली गई थी?
👉 क्योंकि बबलू ने शराब की आदत छोड़ने से मना कर दिया और रोज़ झगड़ा करने लगा था।
Q4. बबलू ने अपनी गलती कैसे सुधारी?
👉 चंचल के जाने के बाद बबलू को एहसास हुआ, उसने शराब छोड़ दी और मेहनत करके अपना जीवन बदल लिया।
Q5. यह कहानी बच्चों के लिए उपयुक्त है क्या?
👉 हाँ, यह कहानी बच्चों को बुरी आदतों से दूर रहने और रिश्तों की अहमियत समझाने के लिए उपयुक्त है
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